Friday, September 18, 2009

हमें चाहिए नोटों पर छपे गाँधी


गांधीजी का जंतर इन नेताओ के लिए किसी शैतान तांत्रिक का ताबीज साबित हो रहा है जो मुसीबत की तरह आन पड़ा है ....बेचारे नेता कहाँ जाए ......किससे कहे, क्या कहे ?
गाँधी का जिन्न अब कहाँ से टपक पड़ा ........जब बापू का सत्य , अहिंसा का कोई मतलब नहीं तो फिर सादगी क्यूँ ?
सोनिया और राहुल बाबा आप गाँधी उपनाम छोड़ डालिए...बापू तो केमिकल लोचा की तरह गाहे बगाहे आ जाते है ......न आप के नाम में गाँधी होगा न आम लोगो को गाँधी की याद आएगी.....
हमसे लोग कभी पूछते है क्या .....कभी शिकायत करते है क्या ......राहुल बाबा बोलो कितने लोगो ने आजतक पूछा .....या मुझसे पूछा कि एमपी , मंत्री साहिब आप हम गरीबों के नेता है तो फिर क्यूँ इतनी बड़ी गाड़ियों पर चलते है.....क्यूँ लुटियन बंगला में रहते है .....ये हथियारबंद सुरक्षा ....आखिर समाज सेवा में खतरा कहे का ?
विदर्भा में हजारो किसानों ने आत्महत्या कि किसी ने पूछा क्या ? लोग भूख से मरते है किसी ने हमें दोष दिया क्या ?
राशन में अन्नाज नहीं मिलता.....स्कूल में शिक्षा नहीं मिलता ......अस्पताल में डॉक्टर और दवा नहीं मिलता .....क्या क्या बताऊँ ....पेज के पेज भर जायेंगे....
हर साल हलफनामे में जो संपत्ति का ब्योरा देते है तो कितने लोग पूछते है कि ये सही है या गलत?
कोई आह तक नहीं करता.....उन्हें आदत पड़ गयी है......वे उम्मीद नहीं करते.....तो क्यूँ फिर ये सादगी का तामझाम कर उनमे एक बार फिर उम्मीदे जगाई जाए ......गाँधी नेहरु के साथ जो ज़माना चला गया उसे फिर क्यूँ बुलाया जाए?
अपने नेता को इतना गरीब देख ये गरीब दुखियारी जनता और दुखी हो जायेगी कि अरे अब तो नेता का ये हाल तो देश का क्या होगा?
तो माता और युवराज जनता की खातिर....उनके फील गुड की खातिर .....इंडिया शाइनिंग की खातिर .....और नहीं तो कम से उन छपे नोटों कि खातिर जिसमे बापू दीखते है ....हमें भैसों और बकरियों से दूर कीजिये .....हमें गाँधी की बकरी नहीं बनाइये ......हम सफेदपोश है हमें वो रहने दीजिए

Thursday, August 27, 2009

debut in a press conference

it has been my 4 months and 26 days in journalism....but for the first time I attended a press conference so it was a debut as a pc reporter. unless and until you dont report and attend these press conference and have good delicious lunch u dont become a good jouralist. This I realized after almost five months.
and i was not attending any